Top 7 Ramayana interesting Facts जिन्हें आपको जरूर जानना चाहिए।

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हम सभी इस बात से भली भांति परिचित है कि भारत का प्राचीन इतिहास बहुत गौरवशाली रहा है।

भारत के इसी प्राचीन इतिहास में रामायण का अहम रोल रहा है क्योंकि रामायण ही ऐसा काल है जिसके दौरान मानव अपने आपको विकसित कर पाया है। 
आज हम इस आर्टिकल में आपके साथ रामायण काल से जुड़े Top 7 Ramayana interesting Facts Share करने वाले हैं जिन्हें आपने पहले कभी नहीं सुना होगा तो चलिए बिना किसी देरी के शुरू करते हैं आज का article:-
 

Top 7 Ramayana interesting Facts

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1. विभिन्न प्रजातियां।

आप सब जानते है कि भगवान राम की पूजा पूरे भारत में कि जाती है लेकिन आपको जानकर ताजुब होगा कि भगवान राम के पीरियड में कुछ ऐसी किस्म की प्रजातियां पाई जाती थी।
जो वर्तमान में विलुप्त हो चुकी है जैसे कि वानर, रीछ और गरुड़ आदि। माना जाता है कि रामायण काल में पशु पक्षी और सभी तरह के जानवर इंसानों की तरह बोलते थे। साथ ही साथ चौंकाने वाली तो बात यह थी कि मनुष्य की ऊंचाई लगभग 20 फीट से ज्यादा होती थी।
 

2.  रामायण काल में भी मिले थे सिंधु घाटी अवशेष।

आर्कियोलॉजी वैज्ञानिकों ने सिंधु घाटी की चार दिवारी की नई सिरे से खौजबीन की और Optically stimulated luminescence Technique का इस्तेमाल करके इसकी उम्र का पता लगाया तो यह लगभग 6,000 वर्ष पुराने निकले हैं। 
इसके अलावा बहुत से अन्य कई तरह की शोधों से यह पता चला कि यह सभ्यता करीब करीब 8,000 वर्ष पुरानी है। 
इसका अर्थ यह हुआ कि सिंधु घाटी की सभ्यता तब चलन में थी जब भगवान श्रीराम का काल था और श्रीकृष्ण के काल के दौरान (3228 ईसा पूर्व) इसका पतन होना धीरे धीरे शुरू हो गया था। 
Scientists के इस संगठन के अंतर्गत सिंधु घाटी की सभ्यता का विस्तार भारत के राज्य हरियाणा के भिर्राना और राखीगढ़ी से शुरू हुआ था। 
आईआईटी खड़गपुर के आर्कियोलॉजी वैज्ञानिकों ने सिंधु घाटी की सभ्यता को निरीक्षण करते वक्त कुछ नए तथ्य सामने रखे है। 
वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि यह सभ्यता 5500 साल ही पुरानी नहीं बल्कि 8000 साल पुरानी है। इस तरीके से अगर हम सोचें तो यह सभ्यता मिस्र और मेसोपोटामिया कि सभ्यता से काफी पुरानी थी।
मिस्र की सभ्यता 7,000Bc से 3,000Bc तक रहने के अवशेष मिले हैं, जबकि मेसोपोटामिया की सभ्यता 6500Bc से 3100Bc तक चलन में थी। 
शोधकर्ता ने इसके अतिरिक्त हड़प्पा सभ्यता से 1,0000 वर्ष पहले की सभ्यता के अवशेष भी खोज निकाले हैं। 
सिंधु घाटी में ऐसी करीब – करीब 8 जगहें हैं जहां सभी नगरों को खोज लिया गया हैं। जिनमें आगे दिए गए कुछ गीने चुने नाम हैं:- 
  1. हड़प्पा
  2. मोहनजोदेड़ों
  3. चनहुदड़ो
  4. लुथल
  5. कालीबंगा
  6. सुरकोटदा
  7. रंगपुर और रोपड़ है।
 

3. इमारतों और अन्य चीजों का निर्माण: 

भगवान श्रीराम काल में भवन, पूल और अन्य निर्माण कार्यों का भी जिक्र मिला है। 
इससे हमें पता चलता है कि उस काल में सुंदर रूप से निर्माण कार्य किए जाते थे और उस काल की वास्तु एवं स्थापत्य कला आज के दौर से कई गुना आगे चलती थी। 
उस काल में विश्वामित्र और मयासुर नाम के दो प्रमुख वास्तु और ज्योतिष शास्त्री हुए थे। 
दोनों ज्योतिषियों ने ही कई नगर, महल और भवनों का निर्माण करवाया था। 
गीता प्रेस के गोरखपुर नामक विलेज से छपी किताब में एक वर्णन किया गया है कि राम ने सेतु पुल के नाम रखने के दौरान उसका नाम ‘नल सेतु’ रखा था। 
इसका मुख्य कारण यह था कि लंका तक पहुंचने के लिए बनाया गया पुल विश्वकर्मा के पुत्र नल द्वारा बताई गई विधि द्वारा संपन्न हुआ था। यही नहीं बल्कि महाभारत में भी श्रीराम के नल सेतु का वर्णन हुआ है।
 

4. रामायण काल में हुए अविष्कार। 

रामायण काल में कई महाग्यनी और ज्योतिष थे जैसे नल, विश्वकर्मा, सबाहु, ऋषि अगत्स्य, नील, मय दानव, वशिष्ठ, विश्वामित्र आदि। 
रामायण काल में भी 21वीं सदी जैसे अविष्कार हुए थे। जैसे कि नाव, शतरंज, रथ, समुद्र जलपोत, विमान, धनुष-बाण और कई तरह हथियारों के नाम तो आपने सुने ही होंगे। 
लेकिन आपको जानकर ताजुब होगा कि उस काल में भी मोबाइल और लड़ाकू विमानों को नष्ट करने का यंत्र बनाया गया था।
 
भले ही आज का युग Technology का है लेकिन रामायण काल में भी दूर नियंत्रण यंत्र था जो कि विभीषण के पास था और यह आज के मोबाइल की तरह ही काम करता था जिसे मधुमक्खी भी कहा जाता था।
 
इसके साथ साथ लंका के सैनिकों के पास भी खास टेक्नोलॉजी थी लंका के लगभग 10000 सैनिकों के पास त्रिशूल यंत्र थे जो कि दूर दूर तक संदेश भेजने के काम आते थे जैसे कि आज के समय WhatsApp or Facebook है।
भले ही आज ऐसी टेक्नोलॉजी का अभाव हो लेकिन उनके पास दर्पण यंत्र भी था जो घौर अंधकार में भी प्रकाश का आभास प्रकट करने में योग्य था।
 

5. रावण की अनोखी गुफा।

वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि रेगला के जंगलों में एक ऐसी विशालकाय पहाड़ी है जिस पर रावण की गुफा है।
इसी गुफा में रावण ने अपनी गौर तपस्या की थी आज आज भी लोग ऐसा मानते है कि वहां रावण का शव सुरक्षित पड़ा हुआ है।
आपको क्या लगता है इस गुफा की ऊंचाई कितनी हो सकती है…1000 फीट, 2000 या 3000 फीट।
जी नहीं, यह गुफा लगभग 8 हजार फुट पहाड़ों पर स्थित है और इस गुफा के अंदर लगभग 17 फुट के ताबूत के अंदर लंकापति रावण का शव रखा गया है।
इस ताबूत की एक खास बात है कि इसे हजारों सालों से वहां रखा हुआ है और एक अजीब से लेप से इसे घेरा हुआ है जिसके कारण यह जस का टस हजारों वर्षो से बिना किसी परेशानी के पड़ा हुआ है।
इसके अतिरिक्त लंका में एलिया पहाड़ियों के अलग
-बगल रावण फॉल, रावण गुफाएं और नष्ट हो चुके रावण के भ्राता विभीषण के राजघरानों के अवशेष भी मिले है जो कि रामायण काल होने की एक पक्की पुष्टि करते है।

6. राम सेतु पुल।

जैसा कि हम पहले भी बात कर चुके है कि राम सेतु पुल का नाम पहले नल सेतु था।
भारत की साउथ दिशा में धनुषकोटि तथा श्रीलंका की नॉर्थ वेस्ट दिशा में पम्बन के बीच समुद्र के अंदर 48 किलोमीटर चौड़ी पंक्ति के रूप में उभरे हुए एक भू-भाग को जब पहली बार अमेरिकन ऑर्गनाइजेशन NASA ने इसे अपने उपग्रह से देखा तो इसे Adam Setu का नाम दिया गया था।
इस Event के बाद लंका में रहने वाले के मुस्लिमों ने इसे आदम पुल कहना शुरू कर दिया। भगवान श्रीराम ने जहां धनुष मारा था उस स्थान को ‘धनुषकोटि’ कहते हैं।

7. भगवान शिव के पद चिन्ह।

श्रीलंका में एक ऐसा पहाड़ और पर्वत है जिसे श्रीपद चोटी भी कहा जाता है। ब्रिटिश शासनकाल के दौरान उन्होंने इसका नाम ए एडम चोटी रख दिया था।
हालांकि इस एडम चोटी का पुराना नाम रतन द्वीप पहाड़ है इसी के साथ इस पहाड़ पर एक मंदिर बना है।
हिन्दू मान्यता और ज्योतिषियों के अनुसार यहां देवों के देव  भगवान महादेव के पैरों के चिन्ह मिले हैं इसीलिए इस जगह को सिवानोलीपदम भी कहा जाता है।
ये पैरों के निशान 5ft 7inch लंबे और 2ft 6inch चौड़ें हैं। यहां 2 हज़ार 224 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस ‘श्रीपद’ के दर्शन के लिए हर साल लाखों भक्त और सैलानी इनके दर्शन करने आते हैं।
लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि ईसाई धर्म के लोगों ने इसके महत्व को समझते हुए यह मान लिया है कि ये संत थॉमस के पैरों के निशान हैं।
बौद्ध धर्म के लोगों के अनुसार ये निशान गौतम बुद्ध के हैं। मुस्लिम धर्म के लोगों के अनुसार यह निशान हजरत आदम के हैं।
आपको जानकर ताजुब होगा कि आज के दौर के कुछ लोग तो रामसेतु पुल को भी आदम पुल कहने लगे है इसके साथ साथ इस पहाड़ के बारे में रोचक बात यह है कि यही वह पहाड़ है जो द्रोणागिरी का एक छोटा टुकड़ा है और जिसे हनुमान जी लक्ष्मण जी के लिए संजीवनी के रूप में उठाकर लाए थे। श्रीलंकई लोग इस पहाड़ को एक अलग ही नाम से बुलाते है जो रहुमशाला कांडा है।
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निष्कर्ष।

हमें आशा कि आपको Ramayana interesting Facts जानकर अच्छे लगे होगें। अगर आपको सच में Post पसंद आई है तो नीचे Comment box में अपने विचार जरूर share कर सकते है।
धन्यवाद 🙂
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